छत्तीसगढ़ के नर्सिंग कालेजों में आईएनसी से स्वीकृति बिना हजारों नर्सिंग बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
*छत्तीसगढ़ में नर्सिंग की कहानी*
*आईएनसी से स्वीकृत 4460 सीटों के विपरीत 7026 सीटों में प्रवेश,2566 अतिरिक्त सीटों को मान्यता नही*?
*2566 डिग्री धारियों की डिग्री अवैध मानी जाएगी जिन्हे अन्य प्रदेशों में नौकरी मे मान्यता नही मिलेगी*?
दुर्ग *( न्यूज इंडिया नेटवर्क छत्तीसगढ़ /सतीश पारख)* *इंडियन नर्सिंग काउंसिल, नई दिल्ली* के वेबसाइट द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में बी.एस.सी. नर्सिंग की कुल *4460* सीटें है, किन्तु चार माह पहले *जी.एन.एम* . नर्सिंग को *बी.एस.सी* . नर्सिंग में अपग्रेड किये गये और नए नर्सिंग कॉलेज जिन्हे *केवल राज्य स्तर* की अनुमति है, उनकी संख्या *7026* है। अर्थात् 7026-4460= *2566* इन अतिरिक्त सीटों को INC NEW DELHI ने मान्यता नही दी है, जिन संस्थाओं के जी.एन.एम. कोर्स को बी.एस.सी. नर्सिंग में अपग्रेड किया है, उन्हे INC NEW DELHI ने स्वीकृति नही दी है, साथ ही ऐसे नए नर्सिंग कॉलेज जिनकी केवल स्टेट लेवल की अनुमति है, (2566 सीटें)। इन संस्थाओं से उत्तीर्ण विद्यार्थी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद *अन्य राज्य में* किसी भी प्रकार से शासकीय, अर्द्धशासकीय या निजी नौकरियों के लिए इनके मार्कशीट ओर डिग्री पूर्ण *रूप से अवैध माने जाऐंगे* , जो भी विद्यार्थी लाखो रूपये लगाकर ऐसे नर्सिंग कॉलेजो में प्रवेश लिये है जिन्हे INC NEW DELHI से अनुमति नही है जिससे उनका भविष्य और पैसा दोनो खराब हो सकता है।
अधिकारियो की मिलीभगत से लगभग 30 से 35 नर्सिंग महाविद्यालय छ.ग. में संचालित है जिसके स्वयं का भवन नही है जबकि छ.ग. शासन की अनुमति की शर्त ही यही है कि स्वयं का 3 एकड़ की भूमि व महाविद्यालय भवन होना चाहिए। अगर शासन सही नियत से महाविद्यालय का निरीक्षण करे तो कई महाविद्यालयो में ताला लग जायेगा। शासन की अनदेखी के कारण कई विद्यार्थियों को नर्सिंग विषय का पूर्ण ज्ञान न होने से अधकचरा ज्ञान के विद्यार्थी अपना स्वयं का पैसा व समय बर्बाद कर रहे है।
गौरतलब है कि विगत चार-पांच वर्षो में छ.ग. में नर्सिंग कॉलेज की बाढ़ सी आ गयी है, और अनेक महाविद्यालय केवल राज्य स्तर की (SNRC) से अनुमति लेकर नर्सिंग कॉलेज खोल रहे है, जहां पर न तो ठीक से हॉस्पीटल की व्यवस्था है, और न ही विद्यार्थियों के लिए अन्य जरूरी मूलभूत सुविधाऐं जैसे- लैब, लाइब्रेरी, खेल का मैदान, पार्किंग, इत्यादि। अनेक कॉलेजों में Clinical Facility हेतु पर्याप्त हॉस्पीटल बेड की व्यवस्था भी नहीं है। इतने छोटे से राज्य में नर्सिंग की 7026 सीटें होना भी यह दर्शाता है कि इस राज्य में इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों का उचित तरीके से पालन नही हो रहा है, यदि यही स्थिति रही तो छ.ग. में भी बहुत जल्द मध्यप्रदेश वाली स्थिति बन सकती है।
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